झारखंड के जनजाति
Birjia Tribes बिरजिया जनजाति
परिचय
बिरजिया का शाब्दिक अर्थ जंगल का मछली होता है। बिर का अर्थ जंगल और जिया का मतलब मछली होता है। यह झारखंड की प्राचीनतम आदिम जनजाति है। ये जनजाति खुद को पुण्डरीक नाग का वंशज मानते है। झारखंड सरकार ने जनजातीय वर्गीकरण में इसे सदान समूह और आदिम जनजाति समूह दोनो में जगह दी है। यह जनजाति द्रविड़ प्रजातीय समूह में आता है। इसकी मूल भाषा बिरजिया है जो एक विलुप्तप्राय भाषा है। झारखंड में बिरजिया जनजाति सादरी भाषा बोलते है।
बिरजिया के वर्ग
सामाजिक दृष्टि से इस जनजाति को दो वर्ग में बाँटा गया है:-
a) सिंदुरिया – इस वर्ग में विवाह के समय सिंदूरदान होता है।
b) तेलिया – इस वर्ग में विवाह के समय तेल का प्रयोग होता है।
खान-पान के आधार पर इस जनजाति को दो भागों में बाँटा गया है:-
a) दूध बिरजिया – ये वर्ग खाने में दूध का ज्यादा प्रयोग करता है। जबकि मांस नही खाता। ये पूर्णतः शाकाहारी होते है।
b) रस बिरजिया – ये वर्ग मांसाहारी होते है।
ये सुबह के कहने को लुकमा, दोपहर के खाने को कलवा और रात के खाने को बियारी कहते है।
परंपरागत पेशा
इस जनजाति का मुख्य पेशा लौहकर्म है इसलिए कुछ मानव वैज्ञानिक इसे असुर का उपवर्ग मानते है। ये जनजाति स्थान्तरित कृषि भी करते है।
सामाजिक व्यवस्था बहुविवाह और तलाक की प्रथा सामान्य रूप से प्रचलित है।
धार्मिक व्यवस्था
पूर्वजो की पूजा का बिरजिया में विशेष स्थान है। इस जनजाति का ईसाईकरण नही के बराबर हुआ है। बिरजिया जनजाति में पूर्वजो के पूजा का विशेष महत्व है।
सामाजिक व्यवस्था
इसका समाज पितृसत्तात्मक होता है। समगोत्रीय विवाह वर्जित है।
राजनीतिक व्यवस्था
बिरजिया जनजाति के पंचायत व्यवस्था का प्रमुख बैगा कहलाता है। बैगा के मदद के लिए बेसरा और धावक पदाधिकारी होती है। गाँव के बुजुर्ग लोग भी पंचायत व्यवस्था में भाग लेते है।
Birjia Tribes बिरजिया जनजाति Video
काफी गलत जानकारी है । मैं आग्रह करूंगा कि इनकी जानकारी को स्वीकार नहीं किया जाए । बिरजिया का अर्थ होता है जंगल मे निवास करने वाले जीव(मानव) । बिर – जंगल ,जिया – जीवन । इसमे जीवन का अर्थ मानव जीवन से हैं ,मछली से नहीं है । निश्चित तौर पर इस आदिम जनजाति कि भाषा लुप्तप्राय है किन्तु वर्तमान मे कुछ कार्य शुरू कर दिया गया है इनके संरक्षण संवर्धन मे । यह जनजाति आग्नेय परिवार मे आती है ,द्रविड़ नहीं । बिरजिया लोगों कि अपनी भाषा है जिसका वे व्यवहार करते हैं किन्तु लिंक भाषा के रूप मे नागपुरी का प्रयोग करते हैं । किन्तु जानकारी को बिना रेफरेंस के ना दे।
Hellow writer of Brijiya tribe
Iam from Brijiya tribe
For your kind information we are the dwellers of forest not the fish of forest.we have our own language and speak fluently. Christianity has brought us into light.Government has seen our life ,gave few jobs and now it has left us.we are in danger zone.
Our language,culture,custome are slowly decreasing.
We need to be saved, educated,and preserved.
Hellow writer
I am from Brijiya Tribe
We are the dwellers of forest,not fish of the forest.
We have our own language, culture and custom.
Hellow writer
Iam from Brijiya Tribe
For your kind information we are the dwellers of the forest.we have our own language and we speak fluently.we practice our culture,and customes.