Tribes Of Jharkand
Binjhia Tribes बिंझिया जनजाति
परिचय (Introduction)
भारत में सबसे ज्यादा बिंझिया जनजाति झारखंड में निवास करती है। दूसरा स्थान उड़ीसा का है।
भाषा (Language)
इनके मूल भाषा बिंझवारी है, इसके अलावा ये उड़िया और सादरी भी बोलते है।
मूलनिवास स्थान
इसके मूल निवास स्थान विंध्याकाल पर्वत के कोलनगरी को माना जाता है। यही से ये उड़ीसा (क्योंझर, सुंदरगढ़) और छोटानागपुर में आये। विंध्य शब्द से ही बिंझिया शब्द की उत्पत्ति हुई।
वर्गीकरण
बिंझिया के द्रविड़ प्रजातीय समूह के अंतर्गत रखा गया है। झारखंड के 5 राजपूत जनजातियो में बिंझिया भी आता है। इसके चार उपवर्ग पाए जाते है:- असुर बिंझिया, पहाड़िया बिंझिया, अगरिया बिंझिया और डांड बिंझिया।
गोत्र
इस जनजाति में 7 गोत्र पाए जाते है। अग्निहोत्री, कुलमार्थी, नाग, भैरव, करटाहा, साहुल और डाडुल।
धार्मिक जीवन
इनके मुख्य देवता विंध्यवासिनी देवी है जो विंध्याचल पर्वत पर निवास करती है। पूरी के जगन्नाथ भगवान पर इनके विशेष आस्था देखी जाती है। इनके ग्रामीण देवता “बुधराजा” होते है और ग्राम देवी को ग्राम श्री कहा जाता है।। पूर्वजो को सम्मान देने के लिए ये “पितृ-पूजा” करते है। इनके पुजारी बैगा होते है। तुलसी के पौधे का विशेष महत्व होता है।
आर्थिक जीवन
बिंझिया समाज मे आज भी वस्तु विनिमय व्यवस्था मौजूद है। महिलाएँ आर्थिक लेन देन में पुरुषों से ज्यादा भाग लेती है। इनके जीविका का मुख्य आधार कृषि है।
सामाजिक जीवन
इनमे बहिरजातीय/समगोत्रीय विवाह का प्रचलन नही है। ये वयस्क विवाह को प्राथमिकता देते है लेकिन बाल विवाह भी होती है। तलाक को छोड़ा-छोड़ी कहा जाता है। वधूमूल्य को “डाली कटारी” कहा जाता है। बिंझिया परिवार को डिबरिस कहा जाता है। कई डिबरिस (परिवार) मिलकर एक जामा (गांव) बनता है। कई जामा मिलकर एक खुमरी(छोटा कबीला) बनता है। कई खुमरी मिलकर एक बरगा (कबीला) बनता है। कबिले का मुखिया गौतिया कहलाता है।
अन्य तथ्य
1) ये ब्राह्मणों और क्षत्रियों के अलावे किसी के यहां भोजन नही करते।
2) हड़िया पीना वर्जित है।
3) युवागृह जैसी संस्था नही पाई जाती है।
4) ये अपने आप को राजपूत मानते है तथा नाम के साथ सिंह7 लगाते है।
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