मुंडा मानकी शासन व्यवस्था
परिचय
यह शासन व्यवस्था हो समुदाय की शासन व्यवस्था है। इस व्यवस्था को मुंडा विद्रोह के बाद विल्कनसन रूल के तहत 1937 में कानूनी मान्यता मिली,इसके तहत 32 प्रावधानों को लागू किया गया। यह शासन व्यवस्था झारखंड के कोल्हान क्षेत्र (पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां) प्रचलित है। यह दो स्तरीय शासन व्यवस्था है।
ग्राम पंचायत ➡ पीड़ पंचायत
ग्राम पंचायत
यह ग्राम स्तर की पंचायत होती है जिसकी बैठक एते तुड़तुड़ (हो समाज का अखडा) में आयोजित होती है। गांव के सभी विवादो का निपटारा इसी पंचायत के अधिकारियों द्वारा किया जाता है। ग्राम पंचायत में निम्न प्रमुख अधिकारी होते है।
Munda
मुंडा मानकी व्यवस्था में ग्राम पंचायत का प्रधान मुण्डा होता है। मुंडा ग्राम पंचायत का न्यायिक और प्रशासनिक प्रमुख होता है। यह गांव के विवादो का निपटारा गांव के बुजुर्ग सदस्यो और अन्य अधिकारियों के सहयोग से निपटाता है। मुंडा को गांव से लगान वसूलने का अधिकार प्राप्त है। मुंडा परती जमीन का बंदोबस्ती पट्टे के माध्यम से कर सकता है।
डाकुआ
डाकुआ मुंडा का मुख्य सहायक होता है। मुंडा डाकुआ के द्वारा ही गांव मे सभा को बुलाता है।
दिउरी
ग्राम पंचायत का यह धार्मिक प्रधान होता है। धार्मिक अपराधियों की सजा यही तय करता है। गांव के धार्मिक अनुष्ठान का संपादन इसके द्वारा ही किया जाता है।
यात्रा दिउरी
यह दिउरी का मुख्य सहायक होता है। दिउरी की अनुपस्थिति में यही उनका पद संभालता है।
पीड़ पंचायत
15 से 20 हो गांवों समूह को पीड़ कहा जाता है। ग्राम पंचायत में जिस मामले का निपटारा नही हो पाता उसे इस पंचायत के पास लाया जाता है। ग्राम पंचायत के फैसले के खिलाफ यहां पर अपील होता है। दो या दो से अधिक गांवों के बीच के विवाद का निपटारा इस पंचायत में किया जाता है। पीड़ पंचायत का न्यायिक प्रधान पीर-पंच (पीड़-पंच कहलाता है।
Note :- कोल्हान क्षेत्र में कुल 26 पीड़ है।
पीड़ पंचायत में निम्न अधिकारी होते है:-
मानकी
पीड़ के प्रधान को मानकी कहा जाता है। मानकी मुंडा द्वारा जमा किए गए लगान को वसूल करता है। मानकी पूरे पीड़ का न्यायिक और प्रशासनिक प्रमुख होता है। मानकी अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर पूरे पीड़ का प्रशासन संभालता है।
तहसीलदार
तहसीलदार मानकी का सहायक होता है। मानकी तहसीलदार के मदद से ही मुंडाओ द्वारा जमा किए गए लगान की वसूली करता है।
तीन मानकी
जब कोई मामला पीड़ पंचायत द्वारा नही सुलझता हैं। उस समय तीन-मानकी समिति का गठन किया जाता है। जिसमे कई पीड़ो के मानकी आते है और उस मामले को सुलझाया जाता है।
Tax Collection
विलकिंसन रूल के तहत मुंडा को लगान वसूलने का अधिकार दिया गया था। 16 आना लगान पर मुंडा 4 आना खुद के पेमेंट के रूप में रख सकता था तथा 12 आना मानकी के पास जमा करना पड़ता था। मानकी इस लगाम को सरकारी खजाने में जमा करवाता था। पेमेंट के रूप में मानकी को 16 आना जमा करने पर 01 आना मिलता था। दंड स्वरूप अदा की गई धन को गांव के विकास के रूप में प्रयोग किया जाता था। 16 आना दंडस्वरूप प्राप्त धन में 8 आना देउरी, यात्रा देउरी, डाकुआ आदि अधिकारियों के पेमेंट के रूप में खर्च किया जाता था बाकी 8 आना से गांव का विकास कार्य किया जाता था। मुंडा को जमीन का पट्टा देने का भी अधिकार है। इस पट्टी से उत्पन्न आय से वह अपने अधीनस्थ अधिकारियों का वेतन देने तथा गांव के सामूहिक कार्य में खर्च करता है।
Note:- मुंडा मानक पंचायत व्यवस्था में मुंडा और मानकी दोनों का पद वंशानुगत होता था।
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