Parha Panchayat Shasan Vyavstha
पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था
परिचय
पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था उरांव समुदाय में प्रचलित है, इसे उरांव शासन व्यवस्था भी कहा जाता है। यह शासन व्यवस्था मुंडा शासन व्यव्स्था से काफी मिलती है। इस व्यवस्था में लोकतंत्र की झलक देखने को मिलती है। वर्तमान समय में भी यह व्यवस्था कुछ क्षेत्र में प्रासंगिक है। वर्तमान कानून व्यवस्था के अस्तित्व में आने से पहले उरांव समाज इस पंचायत व्यवस्था से अपने फौजदारी और दीवानी विवादों का निपटारा करते थे।
झारखण्ड में उरांव का आगमन मुंडा के आगमन के बाद हुआ। जब मुस्लिम आक्रमणकारियो ने रोहतासगढ़ में आक्रमण किया और वहां अत्याचार करना शुरू किया तब उरांव झारखंड में आकर बसे। यहां पहले से निवास करने वाले मुंडाओ से मामूली वर्ग-संघर्ष के बाद दोनो समुदाय छोटानागपुर में आपस में मिल जुल कर रहने लगे। उरांव समुदाय ने जंगल काटकर गांव (भुईहरी गांव) और खेती लायक जमीन (भुईहरी) जमीन बनाएं।
गांव बसने के बाद गांव के प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए मुख्य पुजारी पाहन को प्रशासनिक अधिकार दिए गए जिसका सहयता बैगा करता था। आगे चलकर इस व्यवस्था में कुछ बदलाव आया और पाहन की सहायता के लिए “महतो” पद का सृजन हुआ। समय के साथ गांव का धार्मिक कार्यों का संचालन पाहन के द्वारा और प्रशासनिक कार्यों का संचालन महतो द्वारा किया जाने लगा। इस तरह समय के साथ साथ पड़हा पंचायत अपने विकसित रूप में पहुंचा।
स्तर
पड़हा पंचायत व्यवस्था तीन स्तरीय शासन व्यवस्था होती है।
ग्राम पंचायत ➡ पड़हा पंचायत ➡ अंतरपड़हा पंचायत
उपरोक्त 3 स्तर से पड़हा पंचायत काम करती है।
ग्राम पंचायत
इस स्तर पर निम्न प्रमुख पद होते थे।
महतो
यह भुईहरी गांव का प्रशासनिक और न्यायिक प्रधान होता है। यह पद वंशानुगत होता है। महतो गांव के बुजुर्ग और अनुभवी लोगो और पंचायत के सभी अधिकारियों के साथ मिलकर ग्राम पंचायत में गांव की सभी विवादो का निपटारा करता है। प्रायः बड़े पुत्र को यह पद मिलता था। महतो की सहायता ‘मांझी’ करता है।
पाहन
यह भुईहरी गांव का धार्मिक प्रधान होता है। गांव के सारे धार्मिक कार्य इनके नेतृत्व में होता हैं। यह पद 3 वर्ष के लिए होता है। प्रत्येक 3 वर्ष में खद्दी पर्व (सरहुल) के दिन पाहन का चुनाव होता है। पाहन हमेशा विवाहित पुरुष को बनाया जाता है। पाहन की सहायता ‘बैगा’ करता है।
भंडारी
यह गांव में संदेशवाहक होता है। महतो या पाहन के संदेश को गांव के हर घर में पहुंचाना इसका मुख्य कार्य होता है।
इन तीनो पदाधिकारियों को गांव द्वारा भरण पोषण के लिए लगान मुक्त जमीन प्रदान की जाती है। महतो को प्रदान की गई जमीन ‘महतवई जमीन’ पाहन को दी गई जमीन ‘पहनवई जमीन’ और भंडारी को दी गई जमीन ‘भंडारगिरी खेत’ कहलाता है।
उरांव समुदाय में शासन का केंद्रबिंदु महतो और पाहन है इसलिए इसमें एक कहावत “पाहन गांव बनाता है और महतो गांव चलाता है” काफी प्रचलित है।
पड़हा पंचायत
कई भुईहरी गांव को मिलाकर एक पड़हा का निर्माण होता है। यहां दो या दो से अधिक गांवों के बीच का विवाद सुलझाया जाता है तथा ग्राम पंचायत के निर्णय से असंतुष्ट लोग यहां अपील कर सकता हैं इसके अलावा जो मामला ग्राम पंचायत में नही सुलझता है उसे पड़हा पंचायत में लाया जाता है। पड़हा पंचायत के मुख्य अधिकारी निम्न है:-
पड़हा राजा
यह पड़हा पंचायत का प्रधान होता है। सेवा के बदले पड़हा राजा को दी गई लगानमुक्त जमीन को “मंझीयस” भूमि कहा जाता है। पड़हा राजा का पद वंशानुगत होता है। पड़हा राजा को सहयोग देने के लिए निम्न 5 पदों का चुनाव खद्दी पर्व (सरहुल) के दिन किया जाता है।
दीवान – यह पड़हा राजा का मुख्य सहायक होता है।
मंत्री – यह पड़हा राजा का मुख्य सलाहकार होता है।
कोटवार – पड़हा स्तर में यह संदेशवाहक का काम करता है।
पैनभरा – ये बैठक के लिए खान-पान की व्यवस्था करता है।
गौड़ाइत – गौड़ाइत का मुख्य काम विवाद में सम्मिलित (वादी या प्रतिवादी) को पंचायत में उपस्थित करना था।
पड़हा पंचायत व्यवस्था के अंतर्गत गांव का नामकरण
पड़हा गांव – जिस गांव में पड़हा राजा का निवास स्थान रहता है। दीवान गांव -जिस गांव में दीवान का निवास स्थान रहता है। पनेर गांव – जिस गांव में पैनभरा का निवास स्थान रहता है। कोटवार गांव – जिस गांव में कोटवार का निवास स्थान रहता है। प्रजा गांव – जिस गांव में पड़हा पंचायत का कोई भी अधिकारी नही रहता। दूधभैया गांव – एक पड़हा के अंतर्गत आने वाले गांव आपस में दूधभैया गांव कहलाते है।
अंतरपड़हा पंचायत
यह पड़हा शासन व्यवस्था का सबसे उच्च स्तर है। जब किसी मामले की सुनवाई निम्न स्तर पर नही होती है तब वो मामला यहां लाया जाता है। कई पड़हा को मिलाकर एक अंतःपड़हा का गठन किया जाता है।
इसके प्रधान को पड़हा दीवान कहा जाता है। ये सबसे बड़ा न्यायिक अधिकारी होता है। इसका फैसला सर्वमान्य होता है। यह एक अपीलीय न्यायालय भी है, ग्राम पंचायत और पड़हा पंचायत के फैसले से असंतुष्ट व्यक्ति यहां पर अपील कर सकते है।
Important Facts Of Padha Panchayat
1. पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था के पंचायत बैठक में महिलाएं भी भाग लेती है। जहां की मुंडा शासन व्यवस्था में महिलाएं भाग नही लेती थी।
2. गवाह को शपथ ग्रहण करना पड़ता था। आर्थिक दंड से जमा धन का प्रयोग सामाजिक कार्य में होता था।
पड़हा पंचायत शासन व्यवस्था Detailed Study (Video)
Thank you so much sir..hamare liye itna mehnat karne ke liye dhanyawad…
पहला कमेंट आपका आया 👍👍👍
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