Bhumij Tribe भूमिज जनजाति

भूमिज जनजाति का विस्तृत अध्धयन | Bhumij Tribes Detailed Study

Jharkhand Tribes

झारखंड के जनजाति

Bhumij Tribe भूमिज जनजाति

परिचय

भारत मे भूमिज जनजाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या पश्चिम बंगाल में है। इसके बाद क्रमशः उड़ीसा, असम और झारखंड में है। झारखंड में इसका मुख्य जमाव सिंहभूम क्षेत्र में पाया जाता है। इसके अलावा भूमिज़ो की राँची, धनबाद और हज़ारीबाग में अच्छी-खासी जनसंख्या है। भूमिज प्रोटो-ऑस्ट्रलोयड प्रजातीय समूह के अंतर्गत आते है।

उपनाम

इस समाज को ब्रिटिश काल मे चुआड़ भी कहा गया। इस जनजाति को “धनबाद का सरदार” भी कहा जाता है। इनके परंपराओं का हिन्दूओ की परंपरा से निकटता के कारण इसे “आदिवासियों का हिंदू संस्करण कहा जाता है”।

भाषा

इस जनजाति की मूल भाषा भूमिजी है। भूमिजी भाषा को लिखने के लिए “ओल ओनल” लिपि का निर्माण महेंद्र नाथ सरदार ने की है।

सामाजिक जीवन

इनके समाज पितृसत्तात्मक होते है। समगोत्रीय विवाह वर्जित है। तलाक के समय लड़का एक पत्ते को फाड़कर (टुकड़े कर) के फेंकता है । भूमिज़ो में सबसे प्रमुख विवाह आयोजित विवाह है जिसमे वधुमूल्य देकर विवाह किया जाता है।

भूमिज़ो के गोत्र

भूमिज जनजाति में प्रमुख रूप से गुलगु, पट्टी, जेओला, हेम्ब्रम गोत्र पाए जाते है।

धार्मिक जीवन

भूमिजों की मुख्य देवता सूर्य देव है जिसे ये सिंगबोंगा या धरम के नाम से पूजा करते है। ये ग्राम देवता को गोराई ठाकुर के नाम से पूजा करते है। काराकाटा देवी की पूजा उत्तम वर्षा और भरपूर फसल के लिए की जाती है। ये सरहुल त्यौहार के दिन गाँव मे स्थित पूजा स्थल (जो वृक्षों से घिरा होता है) में जाहुबुरु की पूजा करते है। गाँव के कल्याण के लिए ये आषाढ़ महीने में पाओरी देवी की पूजा करते है। चेचक से बचाव के लिये अत्र देवी की पूजा करते है। भूमिज़ो के धार्मिक प्रधान को लाया/नाया या देहुरी कहा जाता है।

“फिरकल” मार्शल आर्ट् भुमीजों में काफी प्रचलित है।

पर्व-त्यौहार

नुआ खिया – यह नया अन्न ग्रहण करने का त्यौहार है।

धुल्ला पूजा – बैशाख महीने में यह पर्व गाँव की भलाई के लिए की जाती है।

बधना-पर्व – यह कार्तिक अमावस्या में फसल-कटाई का त्यौहार है।

अत्र पूजा – यह चेचक से बचाव के लिए की जाती है।

जनताड़ पूजा- यह पूजा 5 वर्ष में एक बार की जाती है।

आर्थिक जीवन

प्राचीन काल मे भूमिज पाइक (सिपाही) का काम करते थे। बाद में कृषि इसके जीविका का मुख्य आधार बना। भूमिज धान की खेती के लिए प्रसिद्ध है।

शासन व्यवस्था

भूमिज़ो के परंपरागत शासन व्यवस्था का मुखिया “प्रधान” कहलाता है। प्रधान का पद वंशानुगत होता है। प्रधान की सहायता के लिए मुंडा, दिगार, पायक, नायक, मंडल, सरदार, डाकुआ, पानीगिराई आदि पद होते है।

भूमिज जमजाति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

1. भूमिज़ो के श्राद्ध संस्कार को कमावत कहा जाता है। पूर्वजो के हड्डियों को आँगन या घर मे गाड़ने की परंपरा पाई जाती है जिसे ये “सासनदिरी” कहते है तथा शव के दफनाने के जगह पर एक पत्थर रखा जाता है जिसमे जन्म और मृत्यु के तारीख के साथ परंपरागत निशान लिखा जाता है इसे “निशानदिरी” कहा जाता है।

Bhumij Tribe भूमिज जनजाति

https://youtu.be/_ngBqsjO-y4

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