Biography Of Budhu Bhagat
Bhudhu Bhagat बुधु भगत
बुधु भगत का जन्म राँची जिला के चान्हो प्रखंड के सिलगाई गाँव मे 17 फरवरी 1792 में एक उराँव किसान परिवार में हुआ था। कोल विद्रोह (1831-32) के दौरान जब 11 दिसंबर 1831 में तमाड़ के आदिवासियों ने अंग्रेजो, जमींदारों, ठेकेदारों, महाजनों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल फूँका तब इन्होंने सिलगाई गाँव मे कोल विद्रोह का नेतृत्व किया। इस विद्रोह को लरका आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इस विद्रोह में बुधु भगत के तीन बेटे ( हलधर, गिरधर और उदयकरण) और दो बेटियाँ (रुनिया और झुनिया) ने बहुत बहादुरी दिखाई।
वीर बुधु भगत ने अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध आरम्भ किया। इन्होंने गाँव के युवाओं को गुरिल्ला युद्ध की शिक्षा दी। बुधु भगत और इसके सहयोगियों ने अंग्रेजो के नाको में दम कर दिया। जब अंग्रेजो के प्रयास के बावजूद भी बुधु भगत नही पकड़ा गया, तब बुधु भगत के पकड़वाने पर एक हजार रुपये का ईनाम रखा गया।
विद्रोह का दमन
बुधु भगत के विद्रोह को दबाने के लिए विल्किंसन ने आस-पास के चाटुकार राजाओ और जमींदारों से मदद लिया। देव के राजा मित्रभान सिंह ने 200 बंदूकधारी और 50 घुड़सवार दल भेजा। टेकारी के राजा मित्रजीत सिंह ने 300 बंदुकधारी और 200 घुड़सवार का दल भेजा। मित्रजीत सिंह के भतीजे बिशन सिंह ने 150 बंदकधारी और 70 घुड़सवार का दल भेजा। खान बहादुर खान ने 300 सैनिक भेजे। रामगढ़, बैरकपुर, दमदम, मिदनापुर, दानापुर, बनारस के सैनिक छावनियों से सिपाही बुलाई गई। विल्किंसन ने इन सिपाहियों का नेतृत्व कैप्टन इम्पे को सौपा।
14 फरवरी 1832 को कैप्टन इम्पे की अंग्रेजी सेना ने बुधु भगत और इनके सहयोगियों को सिलगाई गाँव मे घेर लिया था। यहीं बुधु भगत सहित इनके 150 अनुयायी वीरगति को प्राप्त हुए। इस नरसंहार में बुधु भगत के भाई, भतीजे, बेटा (उदय करण), दोनो बेटी (रुनिया और झुनिया) भी वीरगति को प्राप्त हुई।
बुधु भगत से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
1. इनके जन्मस्थान सिलगाई गाँव को “शहीद ग्राम योजना के तहत शामिल किया गया है।
2. इनके सम्मान में राँची के मेगा स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स में “वीर बुधु भगत एक्वेटिक स्टेडियम बनाया गया है।
3. ये छोटानागपुर के पहले विद्रोही थे जिसके ऊपर अंग्रेजो ने ईनाम की घोषणा की थी।
Bhudhu Bhagat बुधु भगत Biography