Khunti District

खूँटी जिला से संबंधित सारे तथ्य| All Facts Of Khunti District| JPSC GK | JSSC GK | झारखंड सामान्य ज्ञान

Jharkhand GKझारखण्ड के जिले

Introduction Of Khunti District

Formation Of Khunti District

मुंडा उलगुलान के परिणामस्वरूप खूँटी को 1903 में रांची जिला का अनुमंडल बनाया गया था। फिर जिला के रूप में इसकी स्थापना 12 सितंबर 2007 में रांची जिला को विभाजित करके Khunti District बनाया गया।

Note :- रामगढ़ जिला का स्थापना भी 12 सितंबर 2007 में हुआ था।

नामकरण

मुंडा समुदाय का सबसे ज्यादा आबादी राँची जिला में है मगर मुंडा समुदाय का घनत्व सबसे ज्यादा खूँटी में है।प्राचीन काल में मुंडा सबसे ज्यादा इस क्षेत्र में बसे। जंगलों को साफ करके कृषि लायक जमीन बनाए इस जमीन को खूँटकट्टी कहा जाता है और इसी शब्द्र से खूँटी शब्द का निर्माण हुआ।

उपनाम

लाह नगरी, लाह के उत्पादन में खूँटी झारखंड में प्रथम स्थान रखता है। खूँटी और मुरहू प्रखंड में लाह का उत्पादन बहुतायत होती है।

खूँटी जिला की सीमा

Boundry Of Khunti District

खूँटी और लोहरदग्गा झारखंड के दो ऐसे जिले है जो किसी दूसरे राज्य के सीमा को नहीं छूती। खूँटी 5 जिला से घिरा हुआ है।

1. राँची

2. पश्चिम सिंहभूम

3. सरायकेला खरसावां

4. गुमला

5. सिमडेगा

अनुमंडल – खूँटी जिला में सिर्फ एक अनुमंडल है वो खूँटी है।

खूँटी लोक सभा क्षेत्र

इस लोकसभा क्षेत्र चार जिला के 6 विधान सभा क्षेत्र तक फैला हुआ है। इसके अंतर्गत राँची जिला का तमाड़ विधान सभा क्षेत्र, सिमडेगा जिला का सिमडेगा और कोलीबीरा विधानसभा क्षेत्र (सम्पूर्ण सिमडेगा), खूँटी जिला का खूँटी और तोरपा (सम्पूर्ण खूँटी), सरायकेला-खरसावां का खरसावां विधान सभा क्षेत्र आता है। (Jharkhand loksabha Kshetra)

खूँटी से पहले सांसद जयपाल सिंह मुंडा बने जो तीन बार यहां से सांसद चुने गए (1952,1957 और 1962)। पदम भूषण विजेता करिया मुंडा यहां से 8 बार सांसद चुने गए। झारखण्ड आंदोलन के प्रमुख नेता निरेल ईमेन होरो भी यहां से दो बार सांसद रहे। अर्जुन मुंडा यही से सांसद चुन कर केंद्रीय मंत्री बने।

खूँटी जिला के प्रखंड

Blocks Of Khunti District

खूँटी जिला में 6 प्रखंड अवस्थित है।

1. खूँटी

2. मुरहू

3.तोरपा

4. रानिया

5. कर्रा

6. अरकी

Dam/बाँध –

1. लटरगंज डैम

2. सरदुल्ला डैम – यह कर्रा प्रखंड में अवस्थित है।

खूँटी जिला की नदियां

Rivers Of Khunti District

1. कोटरी नदी – इस नदी के किनारे असुर सभ्यता के पुरातात्विक अवशेष मिले है। यह नदी तजना नदी की सहायक नदी है।

2. तजना नदी – इस नदी के किनारे असुर सभ्यता का पता चला है। यह नदी राँची के बुंडू -तमाड़ क्षेत्र से निकलकर कारो नदी में मिल जाती है। खूँटी शहर इसी नदी के तट पर अवस्थित है।

3. बनाई नदी – पंचघाघ जलप्रपात इसी नदी पर है।

4. छाता नदी – पेरवाघाघ जलप्रपात इसी नदी पर है।

5. करकरी -इसके रेत में सोने के अंश मिलते है ।यह नदी स्वर्णरेखा में मिल जाती है।

6. दक्षिणी कोयल – उलुंग जलप्रपात खूँटी में बनाती है।

खूँटी जिला के जलप्रपात

Waterfalls Of Khunti District

1. रानी जलप्रपात – यह मुरहू प्रखंड मे तजना नदी में है।

2. पेरवाघाघ जलप्रपात – यह छाता नदी में है।

3. पंचघाघ जलप्रपात – यह मुरहू प्रखंड मे बनाई नदी में है।

4. उलूंग जलप्रपात – यह दक्षिण कोयल नदी में है।

5. पांगुरा जलप्रपात – यह मुरहू प्रखंड में स्थित है।

6. लावाघाघ जलप्रपात

खूँटी जिला में स्थित किले

Forts Of Khunti District

1. तिलमी किला – यह किला खूँटी जिला के कर्रा प्रखंड के तिलमी गांव में अवस्थित है। इस किला का निर्माण 1737 ई में अकबर नामक एक नागवंशी सामंत ने किया था। सामंत का नाम अकबर था।

2. जरिया किला – यह कर्रा प्रखंड में अवस्थित है। ये नागवंशी शासनकाल में बना था।

3. कायरा किला/महल – कर्रा प्रखंड में स्थित है।नागवंशी राजा हीरालाल शाहदेव ने बनवाया था।

असुर पुरातात्विक स्थल

Asur Archeological Sites

खूँटी जिले के तजना नदी के किनारे विकसित असुर सभ्यता का पता चला।इस नदी के किनारे बहुत से स्थल पता चला है की यहां पर कभी असुर सभ्यता थी। यहां पर असुर पुरातात्विक स्थल की सबसे पहले खोज 1915 में शरत चंद्र रॉय ने बेलवादाग में की थी। बेलवादाग में बौद्ध विहार के अवशेष मिले है। यहां उपयोग किएगए ईट का आकार सांची स्तूप के ईट के जैसा है। बाद में भारतीय पुरातात्विक विभाग ने और भी बहुत स्थल की खोज की है,जो निम्नलिखित है

1. कुंजला

इसकी खोज भी शरत चंद्र रॉय ने की थी। यहां से मोटे कपड़े, लोहे के समान,मिट्टी के बर्तन प्राप्त हुए है।

2. कटहर टोली

यह कोटरी नदी तट में अवस्थित है।यहां से दिया घंटी के अवशेष प्राप्त हुए है।

3. सरिदकेल

यह सबसे बड़ा असुर स्थल है।

4. हांसा

सबसे बड़े आकार के ईट यहीं से प्राप्त हुई है।

5. खूँटी टोला

इस स्थल की खोज शरत चंद्र राय ने की थी।

उपरोक्त पांचों असुर स्थल को भारतीय पुरातात्त्विक विभाग द्वारा राष्ट्रीय महत्त्व का पुरातत्विक स्थल घोषित किया गया है।

खूँटी जिला के विभूति/स्वतंत्रता सेनानी

Great Personality/Freedom Fighter Of Khunti

1. बिरसा मुंडा – बिरसा मुंडा का जन्म खूँटी जिला के अड़की प्रखंड के उलिहातु गांव में हुआ था।

2. गया मुंडा – ये बिरसा उलगुलान के सेनापति थे। इसका जन्म खूँटी जिला के एटकीडीह गांव में हुआ था।

3. करिया मुंडा – प्रसिद्ध राजनेता जिसे 2019 में पदम भूषण सम्मान मिला।

4. जयपाल सिंह मुंडा – प्रसिद्ध हॉकी खिलाड़ी और राजनेता थे।इसका जन्म खूँटी जिला के टकराहातु गांव में हुआ था। ये हॉकी खेल के मैदान में Defender की भूमिका निभाते थे।

5. नीलकंठ मुंडा – प्रसिद्ध राजनेता है।

6. अर्जुन मुंडा – खूँटी लोकसभा से सांसद बने थे

7. निक्की प्रधान – ये झारखंड की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी है जिसने ओलंपिक में भाग ली। इसने 2016 के रियो ओलंपिक में भाग ली थी।

भगवान बिरसा मृग विहार

Bhagwan Birsa Deer Park

यह मृग बिहार खूँटी जिला के कालीमाटी में अवस्थित है।यह मृग विहार दो तरह के मृग सांभर और चीतल के संरक्षण के लिए बनाया गया है। यह मृग बिहार कांची नदी के तट पर अवस्थित है। यह मृग विहार 23 हेक्टेयर में फैला हुआ है।

डोम्बारी बुरु (Dombari Buru)

यह पहाड़ खूँटी जिला के मुरहू प्रखंड के सैल रैकाब गांव में स्थित है।यह पहाड़ी बिरसा उलगुलान का केंद्र था।

सोनमेर दुर्गा मन्दिर

यह मन्दिर कर्रा प्रखंड में अवस्थित है। इस मन्दिर में संस्कृत के स्थान पर मुंडारी भाषा में मंत्रोच्चारण होता है। यहां के पुजारी स्थानीय आदिवासी पाहन होते है। इसका निर्माण जरियागढ़ के राजा द्वारा किया गया। इस मन्दिर को मनोकामना मंदिर 4के नाम से भी जाना जाता है।

Khunti District Video With Map

https://youtu.be/jfk9_521-n0