झारखंड के जनजातियों के निवास स्थान | Residence Of Jharkhand Tribes

Jharkhand Tribes

झारखंड जनजातियों के निवास स्थान

Jharkhand Tribes Residence

संताल – संताल जनजाति मुख्य रूप से संताल परगना प्रमंडल में पाई जाती है। इसकी सबसे ज्यादा जनसंख्या दुमका जिले में पाई जाती है।

उराँव – उराँव संपूर्ण छोटानागपुर में पाए जाते है, लेकिन सबसे ज्यादा आबादी राँची जिला में है।

मुंडा – मुंडाओं सबसे ज्यादा जनसंख्या राँची जिला में है। घनत्व की दृष्टि से सबसे ज्यादा खूँटी में पाया जाता है। वैसे मुंडाओं की आबादी पूरे छोटानागपुर में बसी हुई है।

हो – पूरे कोल्हान क्षेत्र में हो जनजाति पाई जाती है।

खरवार – इनका मूल निवास स्थान खेरिझार या खरियागढ़ को माना जाता है जो कैमूर की पहाड़ियों पर स्थित था। झारखंड में इसका मुख्य जमाव पलामू प्रमंडल है। इसकी सबसे ज्यादा जनसंख्या पलामू जिला में पाई जाती है।

भूमिज – भारत मे भूमिज जनजाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या पश्चिम बंगाल में है। इसके बाद क्रमशः उड़ीसा, असम और झारखंड में है। झारखंड में इसका मुख्य जमाव सिंहभूम क्षेत्र में पाया जाता है। इसके अलावा भूमिज़ो की राँची, धनबाद और हज़ारीबाग में अच्छी-खासी जनसंख्या है।

कोरबा – कोरबा जनजाति की सबसे ज्यादा आबादी गढ़वा जिला में है। पलामू के गुलगुल पाट में कोरबा जनजाति की सघन आबादी निवास करती है।

कोल – कोल जनजाति का मूल निवास स्थान मध्य प्रदेश के रीवा जिला के बरदीजादा क्षेत्र के कुराली को माना जाता है। झारखंड में इसका जमाव संताल परगना क्षेत्र में पाया जाता है। दुमका जिला में इसकी आबादी सबसे ज्यादा है। इसके अलावे कोल देवघर और गिरीडीह जिला में पाए जाते है।

असुर – असुर की जनसंख्या मुख्यतः पाट क्षेत्र (गुमला, लातेहार, लोहारदग्गा, पलामू) में पाई जाती है। असूरों की सबसे ज्यादा आबादी गुमला जिला में है।झारखंड में मुंडा के आगमन से पहले ही असुर झारखंड में बसे हुए थे। जब मुंडाओ का आगमन 600BC में हुआ तो असुर और मुंडा में संघर्ष हुए जिसमे मूंडाओ की जीत हुई और असुरों को राँची क्षेत्र छोड़कर पाट क्षेत्र में शरण लेना पड़ा। मुंडा के लोककथा ‘सोसो बोंगा’ में इसका जिक्र मिलता है।

चेरो – चेरी जनजाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या पलामू जिला में निवास करती है।

चिक बड़ाइक – चिक बड़ाइक जनजाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या राँची जिला में है। इस जनजाति का कोई गाँव नही होता, ये दूसरे जातियों के साथ निवास करते है।

सौरिया पहाड़िया – ये संताल परगना प्रमंडल में पाई जाने वाली आदिम जनजाति है। इस जनजाति का मुख्य जमाव राजमहल पहाड़ियों के इर्द-गिर्द तथा बाँसलोई नदी के किनारे पाया जाता है। इसका सबसे ज्यादा जनसंख्या साहेबगंज जिला में है।

माल पहाड़िया – सौरिया पहाड़िया की तरह ये संताल परगना प्रमंडल में पाई जाने वाली आदिम जनजाति है। इस जनजाति का मुख्य जमाव राजमहल पहाड़ियों के इर्द-गिर्द तथा बाँसलोई नदी के किनारे पाया जाता है। इसका सबसे ज्यादा जनसंख्या दुमका जिला में है।

बंजारा – बंजारा जनजाति की सर्वाधिक आबादी संताल परगना मैं पाई जाती है

किसान – किसान जनजाति पलामू प्रमंडल में पाए जाते हैं। लातेहार और गुमला में भी इसकी आबादी पाई जाती है।

बिरहोर – बिरहोर जनजाति की सबसे ज्यादा आबादी झारखंड के हज़ारीबाग जिले में पाई जाती है। इसके झोपड़ीनुमा घर को “कुनबा” कहा जता है।

बथुड़ी – झारखंड में इसका सबसे ज्यादा जमाव सिंहभूम में है। इसकी आधी से ज्यादा आबादी पूर्वी सिंहभुम में पाई जाती है। इसका मुख्य जमाव स्वर्णरेखा नदी घाटी में पाया जाता है। भारत में इसकी सबसे ज्यादा जनसंख्या उड़ीसा जिला में है।

लोहरा- लोहरा ट्राइब की सबसे ज्यादा जनजाति रांची जिला में है। यह दक्षिण छोटानागपुर और उत्तरी छोटानागपुर में पाए जाते हैं।

खोंड –खोंड जनजाति की सबसे ज्यादा आबादी संथाल परगना में पाई जाती है।

करमाली – झारखंड में करमाली जनजाति की सबसे ज्यादा आबादी हज़ारीबाग जिले में पाई जाती है। इसका मुख्य जमाव दामोदर नदी के तट पर पाया जाता है।

गौडाइत -इसकी सबसे ज्यादा आबादी राँची जिला में पाई जाती है। पलामू में भी ये पाए जाते हैं।

बिंझिया – बिंझिया का सबसे ज्यादा जमाव संताल परगना में पाया जाता है।

बेदिया – सिंहभूम, हजारीबाग, रांची और संथाल परगना में भी इसकी आबादी पाई जाती है

बैगा – बैगा जनजाति की सबसे ज्यादा आबादी पलामू में पाई जाती है।

कवर – ये छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्र पलामू, गढ़वा, सिमडेगा और गुमला में पाए जाते हैं।

सबर – इसका मुख्य जमाव उड़ीसा के महानदी तट पर पाया जाता है। झारखंड में ये उड़ीसा से सटे इलाके में रहते है। पूर्वी सिंहभूम जिला में सबर जनजाति के सबसे ज्यादा जनसंख्या पाई जाती है।

खड़िया – खड़िया का मूल निवास स्थान बीरू-कैसलगढ़ (सिमडेगा) को माना गया ही। इसकी सबसे ज्यादा आबादी गुमला जिला में पाई जाती है।

बिरजिया – बिरजिया जनजाति की सबसे ज्यादा आबादी गुमला जिला में निवास करती है।

परहिया- परहिया जनजाति की मूल निवास स्थान यूपी का सोनभद्र जिला है। झारखंड में इसका मुख्य जमाव पलामू के पहाड़ियों मे पाया जाता है। इसके झोपड़ीनुमा घर को “झाला” कहा जाता है।

माहली- माहली जनजाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या राँची जिला में पाई जाती है।

गोंड – इसका मूल निवास स्थान गोंडवाना (महाराष्ट्र) माना जाता है। इसका मुख्य जमाव झारखंड के दक्षिण हिस्से में है:- गुमला, सिमडेगा, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला खरसवाँ, पूर्वी सिंहभूम। राँची और पलामू में भी इसकी थोड़ी जनसंख्या पाई जाती है।

Jharkhand Tribes Residence Video

https://youtu.be/IAgTRvh7_14

1 thought on “झारखंड के जनजातियों के निवास स्थान | Residence Of Jharkhand Tribes

  1. परहैया (परहईया) लातेहार पलामू दोनो जगह

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