Livlihood Of Jharkhand Tribes

झारखंड के सभी जनजातियों के परंपरागत पेशा | Traditional Occupation Of Jharkhand Tribes

Jharkhand Tribes

झारखंड के जनजातियों के परंपरागत पेशे

Livlihood Of Jharkhand Tribes

झारखंड के सभी जनजातियों के जीवन-यापन नीचे दिया गया है। यद्यपि समय के साथ सभी के रहन सहन में बदलाव आया है। कई लोग उच्च पद को सुशोभित कर रहे है। प्राचीन काल मे ये लोग अपना जीवन-यापन के लिए कौन सी जीविका आपनाते थे उसका वर्णन नीचे दिया गया है:-

संताल – कृषि-कर्म

Note : संताल परगना में बसने के बाद जब पहाड़िया समुदाय के संपर्क में आये तो कुछ संतालों ने कुरुवा (स्थान्तरित कृषि) भी शुरू कर दिया था।

उराँव – कृषि-कर्म

मुंडा – कृषि-कर्म

हो – कृषि-कर्म

खरवार – खैर वृक्ष से कत्था बनाना/पशुपालन

Note:- पशुपालन से जीविका चलाने वाली जनजाति खरवार है।

खड़ियाखड़खड़िया (पालकी) ढोना

नोट:- दुधी और ढेलकी खड़िया पालकी उठाने का काम करते थे, मगर पहाड़ी खड़िया पूर्णतः जंगल पर आश्रित थे।

माहली – बाँस-कर्म

करमाली – लौह-कर्म

Note:- झारखंड का शेफील्ड “भेंडरा” में लौह-कर्म मुख्यतः करमाली जाती द्वारा की जाती है।

कोल – लौह-कर्म

लोहरा – लौह-कर्म

असुर – लौह-कर्म

चिक बड़ाईक – कपड़ा बुनना

बिरहोर – वन एवं शिकार पर आश्रित

Note:- जाँघी/थानिया बिरहोर मोहलाइन के छाल से रस्सी और बाँस के टोकरी बनाने का कार्य करते। जबकि उलथु/भूलियास बिरहोर पूरी तरह से जंगल पर निर्भर है।

जनजातियों के परंपरागत पेशा

चेरो – कृषि/मजदूरी करना प्रतिष्ठा के खिलाफ समझते है।

बेदिया – कृषि-कर्म

बिरजिया – वन एवं शिकार पर आश्रित/स्थान्तरित कृषि

बिंझिया –कृषि-कर्म

बथुड़ी – कृषि-कर्म / वनोत्पाद का संग्रहण कर बाजार में बेचना

किसान – खेती तथा जंगल से लकड़ी काटकर बाजार में बेचना

कवार – कृषि कर्म मगर यह कृषि कर्म में पिछड़ा जनजाति माना जाता है।

सबर – वन और शिकार पर आश्रित

गोंड – दीपा या बेवार (स्थान्तरित कृषि)

खोंड – पोड़चा (स्थान्तरित कृषि)

कोरबा – बियोड़ा (स्थान्तरित कृषि)/ धातु गलाना

माल पहाड़िया – कुरुवा (स्थान्तरित कृषि)

सौरिया पहाड़िया – कुरुवा (स्थान्तरित कृषि)

बंजारा – मदारी/ठठेरा/बाजीगर/जड़ी-बूटी बेचना

परहिया – वन्य उत्पाद का संग्रहण (लाह, मधु, गोंद, महुआ, साल बीज)। ये स्थांतरित कृषि भी करते है जिसे “बियोड़ा” भी कहा जाता है।

गौड़ाइत – संदेशवाहक/पहरेदारी

बैगा – तंत्र-मंत्र/जादू-टोना/वैद्य

कोरा – मिट्टी कोड़ना

भूमिज – धान की खेती तथा/पाइक का काम

Note – उलथु (भूलियास) बिरहोर और पहाड़ी खड़िया अपना जीवन “लूट लाओ और कूट खाओ” सिद्धांत पे जीवन यापन करते है।

Livlihood Of Jharkhand Tribes

https://youtu.be/9hz9PHrZ4L4

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