झारखंड में ग्रामीण शासन व्यवस्था | Rural Administration Of Jharkhand

Jharkhand Poilty

झारखंड स्थानीय स्वशासन

झारखंड पंचायतीराज व्यवस्था

परिचय – झारखंड पंचायती राज्य अधिनियम 2001 में पारित हुआ है। झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत राज व्यवस्था लागू है जिला स्तर पर जिला परिषद, प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति और ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत। झारखंड में पहला पंचायती चुनाव 2010 में तथा दूसरा पंचायती चुनाव 2015 में हुआ और तीसरा 2022 में। झारखंड पंचायती राज्य अधिनियम, 2001 झारखंड में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन को सुनिश्चित करता है।

Introduction – Jharkhand Panchayati State Act is passed in 2001. Three-tier Panchayat Raj system is implemented in Jharkhand, Zilla Parishad at the district level, Panchayat Samiti at the block level and Gram Panchayat at the village level. The first Panchayati election in Jharkhand was held in 2010, the second Panchayati election in 2015 and the third in 2022. The Jharkhand Panchayati State Act, 2001 ensures rural local self-governance in Jharkhand.

ग्राम पंचायत

ग्रामीण स्थानीय स्वशासन (पंचायती राजव्यवस्था) का सबसे निम्न स्तर ग्राम पंचायत है, जबकि यह सबसे महत्वपूर्ण है। झारखंड पंचायती राज्य अधिनियम, 2001 के तहत 5000 जनसंख्या पर एक ग्राम पंचायत का गठन किया जाता है। वही प्रत्येक 500 की जनसंख्या पर एक ग्राम पंचायत सदस्य निर्वाचित होते है। वर्तमान में झारखंड में कुल 4423 ग्राम पंचायत है। इसमे से 2071 ग्राम-पंचायत अधिसूचित है जिसके सारे सदस्य ST होते है। ग्राम पंचायत के प्रमुख मुखिया होते है। मुखिया की सहायता के लिए उप-मुखिया का भी चुनाव होता है। मुखिया के अनुपस्थिति में उप मुखिया अधिकतम 6 महीने तक ग्राम पंचायत का संचालन कर सकता है। इन दोनों पदों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। मुखिया का चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा ग्राम सभा के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। ग्राम पंचायत के सदस्य दो-तिहाई बहुमत द्वारा मुखिया के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास करके हटा भी सकता है।

ग्राम पंचायत का पदेन सचिव “पंचायत सेवक” होता है। पंचायत सेवक सरकारी कर्मचारी होता है। पंचायत सचिव ही ग्राम पंचायत के कार्यालय का मुख्य प्रबंधक होता है। वह सरकार और ग्रामवासियों के बीच कड़ी का काम करता है। पंचायत सचिव सरकार के कार्य-योजना, कार्य के विषय मे हुए निर्णयों से ग्राम पंचायत को अवगत कराता है और ग्राम पंचायत के गतिविधियों की जानकारी सरकार को देता है।

ग्राम सभा, ग्राम कचहरी और ग्राम रक्षा दल ग्राम पंचायत के प्रमुख अंग है। वर्तमान मे ग्राम पंचायत को कार्य करने के लिए 29 विषय प्रदान किये गए है। ग्राम पंचायत द्वारा गठित कार्यकारिणी समिति में मुखिया सहित कुल 9 सदस्य होते है। मुखिया के मृत्यु के 6 माह के अंदर नए मुखिया का चुनाव आवश्यक है।

ग्राम पंचायत में कुछ स्थायी समितियों का गठन किया जाने का प्रावधान है जैसे:- उत्पादन समिति, सामाजिक न्याय समिति, सुख सुविधा समिति। इन सभी समितियों का अध्यक्ष मुखिया होता है।

ग्राम सभा

यह ग्राम पंचायत का सबसे प्रमुख अंग है। यह ग्राम पंचायत की विधायिका कहलाता है। ग्राम पंचायत क्षेत्र में रहने वाले सभी वयस्क मतदाता ग्राम सभा के सदस्य होते है। प्रत्येक 250 जनसंख्या में एक ग्राम सभा के गठन का प्रावधान है। सामान्यतः प्रत्येक गाँव में एक ग्राम सभा होती है। एक ग्राम पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत दो-तीन या ज्यादा ग्राम सभा हो सकते है। ग्राम सभा के सदस्य ही ग्राम पंचायत के सदस्यों का चुनाव करती है। वर्ष में दो बार ग्राम सभा की बैठक करने का प्रावधान है। ग्राम सभा, ग्राम-स्तरीय योजनाएँ तैयार करती है तथा ग्राम पंचायत द्वारा निर्धारित व्यवस्था को लागू करती है। ग्राम सभा एक निगरानी समिति का गठन करती है जो ग्राम पंचायत द्वारा किये गए कार्यों पर निगरानी रखता है, इसलिए ग्राम-सभा को सुरक्षा प्रहरी भी कहा जाता है। ग्राम पंचायत ग्राम सभा के प्रति उत्तरदायी होता है।

ग्राम कचहरी

ग्राम पंचायत में न्यायिक व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए ग्राम-कचहरी का गठन होता है। इसे ग्राम पंचायत की न्यायपालिका का कहा जाता है। इसे छोटे मोटे दीवानी और फौजदारी मुकदमे को सुलझाने का अधिकार दिया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य गाँव मे मुकदमेबाजी कम करना तथा ग्रामीणों को सस्ता न्याय सुलभ कराना है। ग्राम कचहरी का प्रमुख सरपंच होता है तथा इसकी सहायता के लिए एक उप-सरपंच होता है। मुखिया सहित कार्यकारिणी समिति का कोई भी सदस्य, ग्राम कचहरी का सदस्य नही हो सकता।

प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक ग्राम कचहरी का प्रावधान है। 500 की आबादी पर ग्राम कचहरी के लिए एक प्रत्यक्ष निर्वाचित सदस्य का प्रावधान है। ग्राम कचहरी में कुल 9 सदस्यों का प्रावधान है जिसमे एक सरपंच और 8 पंच होते है, पंचों में से ही एक उप-सरपंच चुना जाता है। ग्राम कचहरी में अधिकतम 10,000 रु तक के मामले स्वीकार्य है। ग्राम कचहरी को अधिकतम 3 महीने के कारावास और 1,000 रु जुर्माना लगाने का अधिकार प्राप्त है। जुर्माना न देने पर 15 दिन का अतिरिक्त कारावास दे सकता है।

ग्राम रक्षा दल

यह ग्राम पंचायत की पुलिस व्यवस्था है। इसमें 18 से 30 वर्ष के युवा को शामिल किया जाने का प्रावधान है। ग्राम रक्षा दल का प्रमुख दलपति कहलाता है। दलपति का चुनाव मुखिया और कार्यकारिणी समिति के राय से की जाती है। ग्राम रक्षा दल का मुख्य काम गाँव की रक्षा करना तथा शांति बनाए रखना है। संकटकालीन परिस्थियों जैसे आग, डकैती, बाढ़, संक्रामक बीमारी में लोगो की सहायता करता है।

ग्राम पंचायत के आय का स्रोत

a) करारोपण – संपत्ति, व्यवसाय, पशु-वाहन, विद्युत और जल पर निर्धारित आय। इसके अतिरिक्त भूमि कर पर उपकर, चुंगी, विश्रामगृहों के उपयोग पर शुल्क, दुकानों पे लगाए गए कर इत्यादि।

b) राज्य सरकारों से अनुदान

c) सार्वजनिक योगदान

d) स्वेच्छिक दान

पंचायत समिति

पंचायत समिति पंचायती राजव्यवस्था का द्वितीय स्तर या मध्यवर्ती स्तर है। पंचायत समिति की स्थापना प्रखंड स्तर पर की जाती है। झारखंड में 264 प्रखंडो में पंचायत समिति कार्यरत है, जिसमे 132 प्रखंड अनुसूचित प्रखंड है। जिसके सभी ST होते है। पंचायत समिति का प्रधान “प्रमुख” कहलाता है। प्रमुख के सहयोग के लिए निर्वाचित सदस्यों में से एक उप-प्रमुख चुना जाता है। प्रमुख के अनुपस्थिति में अधिकतम 6 महीना तक उप-प्रमुख कार्य भार संभालता है। पंचायत समिति के निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्षों के लिए होता है।

5000 की जनसंख्या से एक पंचायत समिति के सदस्य चुने जाते है। जनता प्रत्यक्ष रूप से पंचायत समिति के सदस्यों का चुनाव करती है। पंचायत समिति के सदस्यों को दो-तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित करके हटाया जा सकता है। पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाले सारे मुखिया पंचायत समिति के पदेन सदस्य होते है। उस प्रखंड से जुड़े विधायक, लोकसभा और राज्य सभा सदस्य सह-सदस्य होते है। पंचायत समिति का पदेन सचिव प्रखंड विकास पदाधिकारी होता है। प्रमुख पंचायत समिति के बैठक को बुलाता है तथा इसकी अध्यक्षता करता है। प्रमुख पंचायत समिति के दस्तावेजों का जाँच-पड़ताल कर BDO पर नियंत्रण रखता है।

पंचायत समिति के समितियाँ

पंचायत समिति के अंतर्गत कुछ स्थायी समितियाँ होती है जैसे:-

a) सामान्य स्थायी समिति जिसका अध्यक्ष प्रमुख होता है।

b) वित्त अंकेक्षण व योजना समिति जिसका अध्यक्ष प्रमुख होता है।

c) सामाजिक न्याय समिति जिसका अध्यक्ष उप-प्रमुख होता है।

BDO प्रमुख के आदेश पर पंचायत समिति के निर्णयों का क्रियान्वयन करता है। BDO पंचायत समिति के बैठक में भाग ले सकता है मगर मतदान नही कर सकता।

पंचायत समिति के आय के स्रोत

a) विकास कार्यक्रम के तहत सरकार से प्राप्त अनुदान

b) भूमिकर के उपकर से

जिला परिषद

यह पंचायती राज व्यवस्था का तृतीय और सर्वोच्च स्तर है। जिला परिषद की स्थापना जिला स्तर पर होती है। जिला परिषद का प्रधान अध्यक्ष कहलाता है। अध्यक्ष के सहायता के लिए उपाध्यक्ष भी चुना जाता है जो अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अधिकतम 6 माह तक कार्यभार संभालता है। अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से होता है। दो-तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित कर अध्यक्ष को हटाया जा सकता है। अध्यक्ष को राज्य सरकार द्वारा भी हटाया जा सकता है। DDC जिला परिषद का पदेन सचिव होता है।

अध्यक्ष के कार्य

a)अध्यक्ष जिला परिषद का बैठक बुलाता है और उसकी अध्यक्षता भी करता है।

b) राज्य सरकार को जिला परिषद के कार्यों से अवगत कराता है।

c) पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के कार्यो पर निगरानी रखता है।

झारखंड पंचायतीराज व्यवस्था Video

https://youtu.be/e0kAD_-zNBU

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