Khortha Mains Question 1 लोकोक्तिक अरथ, जनम आर महत

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लोकोक्तिक अरथ – लोकोकति माने होवे हइ लोकेक‌ माइझे परचलित ‘ उकति’। हियां लोक माने मानुस आर ओकर समाज होवो हइ आर उकति माने बोली, कहन, वचन होवो हइ। माने ई लाेकेक ढांगा अनुभवे ओंठगल हे। ई मानूसेक हजारों बछरेक लोक अनुभवेक थाती हके। एकरा अंगरेजी भाखाम proverb कहल जाइ। खोरठा भाखा-साहित लोकबाइनेस तरिआइल हे। एकर डेगे-डेगे परजोग देखेल जाइ पारे। सासतिरिय दिरिसटिकोने लोकोकति गउन अंलकाइर मानल गेल हे। लोकोकति आपन आसल अरथ “लकछना सबदसकति” से लेइ हइ।

लोकोक्ति का अर्थ – लोकोक्ति का मतलब लोगो के बीच प्रचलित उक्ति है। यहां लोक मतलब मनुष्य और उसका समाज है और उक्ति का मतलब बोली, कथन, वचन है। मतलब ये मनुष्य के लंबे अनुभव से विकसित है।ये मनुष्य के हजारों वर्ष से विरासत में मिली संपत्ति है। इसे अंग्रेज़ी भाषा में proverb कहा जाता है। खोरठा भाषा साहित्य लोकोक्ति से समृद्ध है। इसका कदम कदम पर प्रयोग देखा जा सकता है। शास्त्रीय दृष्टि से इसे गौण अलंकार माना गया है। लोकोक्ति, अपना वास्त्विक अर्थ लक्षणा शब्दशक्ति से प्राप्त करता है।

Meaning of proverb – The meaning of proverb is a popular saying among the people. Here Lok means man and his society and Ukthi means speech, statement, word. Meaning it has developed from man’s long experience. This is the property inherited by humans for thousands of years. It is called proverb in English language. Khortha language literature is rich in proverbs. Its use can be seen step by step. From the classical point of view it is considered a secondary ornament. Proverbs get their real meaning from ” Lakshana Shabdshaki”.

लोकोक्तिक आर भीनू नाम – खोरठा भाखायं लोकोक्तिक भीनू-भीनू नामेस जानल जाइ जइसे काभइत, काभनाइत, कहावइत, पटतइर, लोकबाइन आरो-आरो।

लोकोक्ति के अन्य नाम – खोरठा भाषा में लोकोक्ति को अन्य अलग अलग नाम से भी जाना जाता है जैसे:- काभइत, काभनाइत, कहावइत, पटतइर, लोकबाइन इत्यादि।

Other names of Proverbs – In Khortha language, folktales are also known by other different names like:- Kabhait, Kabhanait, Kahavait, Pattair, Lokbain etc.

लोकोक्तिक जनम

कुछु बिदआने बेद-पुरानेस बहराइल टोना बा छोट-खाँट रिचा, सूकति, दोहाक लोकसाहितेक मांझे परजोग के भी लोकबाइन मानल हे। भिनु-भिनु बिदबान लोकोकतिक जनम‌ पर आपन-आपन विचार देइल हे जे निचु उखरावल ‌गेल हे।

कुछ विद्वानों ने वेद- पुराण से निकला टुकड़ा या छोटा ऋचा, सूक्ति, दोहा का लोक साहित्य के बीच में प्रयोग को भी लोकोक्ति माना है। भिन्न- भिन्न विद्वानों ने लोकोक्ति के जन्म पर अपना-अपना विचार दिए है जो नीचे वर्णन किया गया है:-

Some scholars have also considered the use of fragments or short verses, aphorisms and couplets from Vedas and Puranas in folk literature as proverbs. Different scholars have given their own views on the origin of the proverb which are described below:-

डाॅ बासुदेब सरन अगरवाल जीके मत – जे रकम सुरूजें धातूक तापाय के नाना रकम के ‘रतन’ बनाइल हइ, जेकर लाभ सादाइ मिलल हइ। ऊ रकम ‌के पुरना-परिया काल से मानुसेक गियान ‌के तापाय के नाना रकम के लोककति’ बनल हइ। से लागिन कहेल पारे की लोकोकति मानुसेक गियान के गढ़िया ‘रतन’ लागइ जेकर से बुधि आर अनुभव के आलो पावो हइ।

डाॅ वासुदेब शरण अग्रवाल जी का मत –जिस प्रकार सूरज धातु को तपा कर विभिन्न प्रकार का रत्न बनाया है, जिसका लाभ सदा ही मिला है। उसी प्रकार पुरातन काल से मनुष्य के ज्ञान को तपा कर विभिन्न प्रकार का लोकोक्ति बना है। इसलिए हम कह सकते है कि लोकोक्ति मनुष्य के ज्ञान का समृद्ध रत्न है जिससे बुद्धि और अनुभव का प्रकाश मिलता है।

Dr. Vasudeb Sharan Aggarwal’s opinion – Just as the sun has heated the metal and created different types of gems, the benefits of which have always been there. In the same way, since ancient times, various types of proverbs have been created by harnessing the knowledge of man. Therefore we can say that proverbs are rich gems of human knowledge which provide light of wisdom and experience.

डा कृष्ण देव उपाध्याय जिक मत – “लोक साहित्य की भूमिका” नामेंक किताबे डॉकटर साहब लिखल हथि लोकोकतिक जनम लोकमानुसेक एगो ढांगा अनुभबेक पेछु हवल हइ। एकर माने लोग सामाजेक कोनहो चनफनिया-चेठगइर लोक जखन कोनहो एगो घटना नित दिन देखइल हतइ आर ऊ खास बात ओकर मगजे ब‌इठ गेल हतइ, ओहे बात आगू चली लोकबाइन बन गेलइ।

डा कृष्ण देव उपाध्याय जी का मत –लोक साहित्य की भूमिका” नामक किताब में डाक्टर साहब ने लिखा है की लोकोक्ति का जन्म जनमानुष के एक लंबा अनुभव के पीछे हुआ है। इसका मतलब लोग समाज के कोई चतुर -कर्मठ वयक्ति ने जब किसी एक घटना को नित्य प्रतिदिन देखता रहा होगा और वो खास बात उसके दिमाग में समा गया होगा, ऐसे ही बातें आगे चलकर लोकोक्ति बनता गया।

Opinion of Dr. Krishna Dev Upadhyay – In the book titled “Role of Folk Literature”, Dr. Saheb has written that folktales are born out of a long experience of the common man. This means that some clever and hard-working person of the society must have seen an incident every day and that special thing must have got stuck in his mind, such things later on became proverbs.

कुंदन लाल उपरेती जीक अनुसार – ‌लोकोकति लोक मानुसेके अइसन छोट-खांट‌ तापल‌ आर‌ लोकपिरिय कथन’ लागइ जेकर‌‌ से ‌मानुस आपन अनुभव आर गियान‌के सहजी आर गढिया रूपे बिदमान राखल हइ। ई लोकजीवनेक जिदादिलि के पटत‌इर‌‌ लागइ।

कुंदन लाल उपरेती जी के अनुसार –लोकोक्ति जनमानुष के ऐसा छोटा और परिपक्व और लोकप्रिय कथन है जिससे मनुष्य अपने अनुभव और ज्ञान को सहेजकर समृद्ध रूप से विद्यमान रखा है। ये लोकजीवन के जिंदादिली का प्रतीक है।

According to Kundan Lal Upreti ji – Proverbs are such short, mature and popular sayings of human beings which have preserved their experience and knowledge and kept it alive in a rich manner. This is a symbol of the vivacity of folk life.

खोरठा भाखा -साहिते लोक बाइनेक महत

1. कमें सबदें बोड़- बोड़ अड़गुड़माम बात कहल जाइ पारे।

कम शब्दो में बड़ा बड़ा गूढ़ बाते कही जा सकती है।

Very deep things can be said in very few words.

2. लोकबाइनेक परजोगे भाखाञ एगो परबाह आइ जाइ।

लोकोक्ति के प्रयोग से भाषा में एक प्रवाह आ जाता है।

The use of proverbs brings a flow to the language.

3. लोकबाइन, खोरठा छेतरेक एगो ऐनाक रकम काम करो हइ। एकरा से हियांक परिबेस, इतिहास, समाज बेबसथा के जानेल पारा जाइ।

लोकोक्ति खोरठा क्षेत्र का एक आईना के रूप में काम करता है। इससे यहां के परिवेश, इतिहास, सामाजिक व्यवस्था को जाना जा सकता है।

The proverb serves as a mirror of the Khortha region. Through this one can know the environment, history and social system of this place.

4. लोकबाइनेक परजोग से खोरठा भाखा साहित परभाबसाली बन जाइ।

लोकोक्ति के प्रयोग से खोरठा भाषा-साहित्य प्रभावशाली बन जाता है।

Khortha language literature becomes impressive with the use of proverbs.

5. ई खोरठा छेतरेक मउखिक सिकखा-परंपरा के जिअन राखल हे।

ये खोरठा क्षेत्र के मौखिक शिक्षा परंपरा को जिंदा रखा है।

This has kept alive the oral education tradition of Khortha region.

6. ई लोकेक सिखावेक आर बूझावेक एगो सोझ तरिका हकइ।

यह लोगो को सिखाने और समझाने का एक आसान तरीका है।

This is an easy way to teach and explain to people.

7. ई बातचीतेक असरदार आर गढ़िया बानावे।

यह बातचीत को असरदार और दिलचस्प बनाता है।

This makes the conversation effective and interesting.

8. फिंगाठी मारे लागिन खोरठा छेतरे एकर परजोग खूभे होवे।

हास्य के लिए खोरठा क्षेत्र में इसका प्रयोग बहुत ज्यादा होता है।

It is used a lot in Khortha region for humor.

निंघरउति – ई रकम हामिन‌ कहे पारे कि लोकबाइन माने नावा परकार के ‌अनुभव, पुरान-परिया लोकेक कथा, परकिरति‌ नियम आर मानूसेक मउखिक परंपरा पर ओंठगल अइसन कथन जेकर परजोग आपन बातेक फरिच करेक, विरोध करेक, सिख ‌दियेक‌ बा फिगाठीं‌ करेक‌ लागिन होवे हे। ई‌ गांवे-देहातेक‌ लोकेक मुंहेक रतन लागइ‌ जे अचके फुइट‌ बहराइ जाइ।

निष्कर्ष – इस तरह हम कह सकते है की लोकोक्ति का अर्थ नया प्रकार के अनुभव, पुरातन लोक कथा, प्रकृति के नियम और मनुष्य के मौखिक से उत्पन्न ऐसा कथन है जिसका प्रयोग अपने बात को स्पष्ट करने, विरोध करने, सीख देने, मजाक करने के लिए किया जाता है। ये गांव-देहात के लोगो के मुंह का एक रत्न है जो अचानक मुंह से बाहर निकल जाता है।

Conclusion – In this way we can say that the meaning of proverb is such statement arising from new type of experience, ancient folk tale, laws of nature and human verbal words which is used to clarify one’s point, to oppose, to learn. Village people have a gem in their mouth which suddenly comes out of their mouth.

शब्द संग्रह

थाती -विरासत से मिली संपत्ति

तरिआइल – समृद्ध

डेगे-डेगे -कदम कदम पर

चनफनिया -चतुर

चेठगइर – कर्मठ

ढांगा – लंबा

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