संताली साहित्य
परिचय – यह झारखंड के 16 द्वितीय राजभाषा में से एक है। यह झारखण्ड में सबसे ज्यादा बोली जानेवाली जनजातीय भाषा है। संताल समुदाय इस ‘होड़-रोड़’ कहके बुलाते है जिसका मतलब होड़ लोगो की बोली।इस भाषा का अपना विकसित व्याकरण, लिपि और शब्द-संग्रह है। 92वें संविधान संशोधन, 2003 के अंतर्गत संताली को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया गया है। इस भाषा के लिपि का नाम ओलचिकी है जिसे पंडित रघुनाथ मुर्मू ने 1941 में रचना किया। ओलचिकी में कुल 31 वर्ण है। यह संताल और माहली समुदाय की मुख्य भाषा है।
Note:- हंटर कमीशन ने संथाली भाषा को रोमन लिपि में पढ़ने की अनुमति दी थी। इसका काफी विरोध किया गया फिर 1941 तक यह व्यवस्था चलती रही। 1941 के देवनागरी में संथाली की पढ़ाई की जाने लगी।
संताली भाषा-परिवार
Austroasiatic ➡ Munda ➡ North Munda ➡ Kherwarian ➡ Santhali
ऑस्ट्रो -एशियाई ➡ मूंडा ➡ उत्तरी मुंडा ➡ खेरवारी ➡ संताली
संताली भाषा के प्रमुख साहित्य
एन इंट्रोडक्शन टू द संताली लैंग्वेज है –यह संताली भाषा पर लिखी गई प्रथम पुस्तक है। इसकी रचना जर्मिया फिल्प्स ने 1852 में इसका प्रकाशन किया था। यह पुस्तक बांग्ला लिपि में लिखा गया था।
ए वोकेबुलरी ऑफ संताल लैंग्वेज– यह पहली संताली शब्दकोश है। इसकी रचना ई एल पक्सूले ने 1868 में किया।
सिंथालिया एंड द संथाल्स – ई जी मन्न (1867)
A Grammer Of The Santal Language – यह संथाली भाषा का पहला ग्रामर है। इसकी रचना 1873 में एल ओ स्क्रेफ्सरूड ने की।
होडको रने मारे हांपडाम को रेयाक कथा – 1887 में ईसाई मिशनरियों द्वारा रोमन लिपि में यह पुस्तक लिखी गई थी। इसके लेखक के बारे में मतभेद है। 1960 में डोमन साहू समीर ने कहा है कि यह पुस्तक स्क्रेप्सरूड ने लिखा है। जबकी 1987 में अपने शोध पत्र में भागवत मुर्मू ने लिखा है कि इसे किसी केराप साहब ने लिखा है। भागवत मुर्मू के अनुसार यह पुस्तक केराप साहब ने एक बूढ़े कल्याण नामक संथाल से सुनकर लिखा था। इस पुस्तक में संतालो की परंपरागत सृष्टि कथा, मानव के जन्म की कथा, चाय-चंपा की समृद्धि की कथा तथा वहां से पलायन की कथा लिपिबद्ध की गई है।
A Santali-English Dictionary – ए कैंपबेल (1899)
A Materials For A Santali Grammer – पी ओ बोडिंग (1929)
An Introduction To The Santali – मैकफेल (1947)
संताली प्रवेशिका – यह देवनागरी लिपि में लिखी गई पहली संथाली पुस्तक है। जिसे 1951 में डोमन साहू समीर ने लिखा।
दिसोम बाबा (राष्ट्रपति) – यह एक संताली लोकगीत संग्रह है जो 1953 में देवनागरी लिपि में लिखी गई। इसके रचनाकार डोमन साहू समीर है।
Note:- डोमन साहू समीर एक हिंदी रचनाकार थे जिसने बाद में संथाली को अपने रचना का माध्यम बनाया। इसने संथाली भाषा में कई पुस्तकों का रचना किया जिनमें से प्रमुख है: – हिंदी में संथाली भाषा (दो भाग में), गिदरा को रास काक पुथी, सेदाय गाते, आखिर आरोम, आकिल मारसाल (तीन भाग), बुलू मुंडा, माताल सेताक। इनके कुछ पुस्तक अब भी अप्रकाशित है जैसे संतालो की सशस्त्र क्रांति, हिंदी और संथाली भाषाओं का तुलनात्मक अध्ययन, संथाली-पारसी (संथाली भाषा विज्ञान) इत्यादि।
हिन्दी-संताली कोष – केवल सोरेन ने इसे 1951 में देवनागरी लिपि में लिखा।
भुरका इंपिल तारा (सुबह का तारा) – यह शारदा प्रसाद किस्कू द्वारा रचित 51 कविताओं का संग्रह है। यह देवनागरी लिपि में 1953 में लिखा गया है।
ओनोडोहे बाह डलवाक (फूलो की टोकरी) – पाल जुझार सोरेन द्वारा रचित ये वैवाहिक गीतों का संकलन है। इसे 1936 में प्रकाशित किया गया था।
सेरेंग इता (गीत के बीज) – यह पंचानन मरांडी द्वारा रचित काव्य संग्रह है।
होड़ सेरेंग (लोक गीत) – डब्लू सी आर्चर
दौड़ सेरेंग (विवाह गीत) – डब्लू सी आर्चर
एभेन आड़ाअ (जागरण गान) – यह ठाकुर प्रसाद मुर्मू द्वारा रचित कविता संग्रह है।
उपन्यास और कथा साहित्य
होड़ काहनीको – यह एक संताली लोक कथा है जिसे 1924 में पी ओ बोर्डिंग द्वारा प्रकाशित किया गया।
गाम कहानी (लोककथा) – यदि वह बोर्डिंग की दूसरी लोक कथा संग्रह थी जिसे 1945 में प्रकाशित किया गया।
हाड़मवाक आतो (हाड़मा का गांव) – इसे संथाली भाषा का पहला उपन्यास माना जाता है। इसका प्रकाशन 1946 में रोमन लिपि में हुआ था। इसके लेखक आर कास्टेयर्स थे। कास्टेयर्स स्नेही दुमका के हिजला मेला की शुरुआत करवाया था। कास्टेयर्स ने इसे मूल रूप में अंग्रेजी में “हाडमाज विलेज” शीर्षक के साथ लिखा था। इसका बाद में संथाली अनुवाद आर आर के रापाज ने किया है। इसे एक ऐतिहासिक उपन्यास माना जाता है क्योंकि इसमें संतालो के विद्रोह की एवं उनके सशस्त्र क्रांति की कथा है।
मुहीला चेचेत दाई (महिला शिक्षिका)- यह संथाली साहित्य का दूसरा उपन्यास है। इसकी रचना 1952 में नानकु सोरेन द्वारा की गई। यह उपन्यास प्रेम कथा पर आधारित है। इसे अधूरा और असफल उपन्यास माना जाता है।
कुकमू – यह संथाली भाषा की पहली कथा संग्रह है। इसके लेखक बाल किशोर बासुकी है। इस कथा संग्रह में 6 कहानियां है। इसका प्रकाशन 1952 में हुआ था।
बसमुंडा (पियक्कड़) – 1952 में ही डोमन साहू समीर की यह कहानी संग्रह प्रकाशित हुई। इस कहानी संग्रह की सभी कहानियां होड़ संवाद मैं प्रकाशित की गई थी। समीर ने होड़ संवाद में प्रेमचंद की कई कहानियों का संताली अनुवाद भी प्रकाशित किया था। इसी काल में “संथाल पहाड़िया सेवा मंडल” की स्थापना की गई थी जिसके द्वारा कई संताली पुस्तकों का प्रकाशन किया गया था।
संताली में प्रथम
प्रथम संताली पत्रिका – प्रोस्टेंट मिशन द्वारा 1890 में प्रकाशित “पेड़ा होड़ (हित-कुटुंब)” नामक संताली पत्रिका, संताली की पहली पत्रिका है।
प्रथम संताली नाटक – रघुनाथ मुर्मू द्वारा उड़िया लिपि में रचित “बिंदु – चांदन” है।
प्रथम संताली पत्रिका
प्रथम संताली पत्रिका
Santali Literature से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य
1. जमादार किस्कू संताली का एक प्रसिद्ध नाटककार है।
2. होड़ संवाद संताली भाषा की देवनागरी लिपि में प्रसिद्ध पत्रिका है जिसके वर्तमान संपादक बाबूलाल मुर्मू है। इस पत्रिका का प्रथम संपादन डोमन साहू समीर द्वारा देवनागरी लिपि में किया गया था। डोमन साहू समीर के प्रयास से ही आज संताली साहित्य इतनी विकसित अवस्था में है। इसे संताली “साहित्य का भारतेंदु” कहा जाता है। इसका जन्म गोड्डा जिला के पंदाहा गांव में 1924 में हुआ था। ये हिंदी साहित्य के भी बहुत बड़े पुरोधा रहे बाद में इसने संताली के विकास में अपना जीवन लगा दिया। संताली में इसकी रचनाएँ संताली प्रवेशका, दिसुम बाबा (राष्ट्रपिता), गिदरा को रसकाक पुथी, हिंदी में संताली भाषा (दो भाग में), माताल सेताक, बुलू मुंडा, महात्मा गांधी, गांधी बाबा, सेदाय गाते, आकिल हार, पारसी नाई, आकिल हार, आखिर आरोम, आकिल मारसाल प्रमुख है।
4. “मारसल ताबोन” संताली पत्रिका का संपादन कैथोलिक मिशन द्वारा किया गया था।
Santali Literature का Video (इसे भी देखे)