राधाकृष्ण "लाल बाबू"

राधाकृष्ण “लाल बाबू” | Radha Krishn (Laal Babu)

झारखंड के विभूति

Radha Krishn (Laal Babu)

राधाकृष्ण (लाल बाबू)

इसका जन्म 1910 ई मेंं रांची के अपर बाजार में हुआ था। इसके पिता का नाम राम जतन था जो कचहरी में मुंशी का काम किया करते थे। राधाकृष्ण का उपनाम “लाल बाबू” था। झारखण्ड का पहला वृत्तचित्र राधाकृष्ण ने ही खींचा था। ये झारखंड के प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार थे।

ये अपनी रचनाएं सोमदेव उपनाम से लिखा करते थे। मगर इसने अपनी सारी व्यंग रचनाएं “घोष-बोस-बनर्जी-चटर्जी” उपनाम से लिखते थे। इसके बारे में प्रेमचंद्र ने कहा था “मैंने छोटानागपुर के कोयला खान से एक हीरा ढूंढ निकाला है। हिंदी कथा शिल्पियों का नाम काट छांट कर अगर 5 कर दिया जाय तो उनमें राधाकृष्ण का नाम होगा”।

रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन ,1940 के दौरान ये प्रचार समिति के सदस्य के सदस्य भी थेे। ये पटना और रांची आकाशवाणी में भी कार्य किए थे। येे जेपी आंदोलन के समर्थक रहे थे। 6-7 मई 1978 में पृथक झारखंड आंदोलन को एक वैचारिक आधार प्रदान करने के लिए राँची में झारखंड क्षेत्रीय बुद्धिजीवी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन की अध्यक्षता राधाकृष्ण ने की थी। इसकी मृत्यु 1979 ई में हुई। इन्होंने कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया जो निम्न है:-

पत्रिकाएँ

a) एकादशी (11 कविताओं का संग्रह)

b) साहित्य मधुकरी

c) साहित्य श्री

d) आदिवासी

उपरोक्त पत्रिकाओं के अलावा राधाकृष्ण की निम्न कलजयी रचनाएं है।

अन्य रचनाएँ

1) सिन्हा साहब (कहानी) – ये इसकी पहली रचना थी जो 1929 में गल्पमाला पत्रिका में प्रकाशित हुई।

2) गेंद और गोल (कहानी)

3) गल्पिका (कहानी)

4) रामलीला (कहानी)

5) सजला (कहानी)

6) फुटपाथ (उपन्यास)

7) रूपांतर (उपन्यास)

8) बोगस (उपन्यास)

9) सनसनाते सपने (उपन्यास)

10) सपने बिकाऊ है (उपन्यास)

11) चंद्रगुप्त की तलवार (व्यंग्य)

12) बिगड़ी हुई बात ( नाटक)

13) भारत छोड़ो (नाटक)

14) अधिक अन्न उपजाओ (नाटक)

15) इस देश मे कौन जीतेगा(बाल साहित्य)

16) मूर्खो की कहानियां (बाल साहित्य)

17) फिर फहयान आया (अपूर्ण उपन्यास)

18) जमीन का टुकड़ा (अपूर्ण उपन्यास)

19) कवि का अभिर्वाह (अपूर्ण उपन्यास)

20) अल्लाह कसम (अपूर्ण उपन्यास)

राधाकृष्ण पुरस्कार

इनके सम्मान में राँची एक्सप्रेस पत्रिका के द्वारा प्रतिवर्ष राधाकृष्ण पुरस्कार दी जाती है। यह पुरस्कार झारखंड के हिंदी साहित्यकारों को उसके अमूल्य योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार 1980 से शुरू की गई । पहला पुरस्कार श्रवण कुमार गोस्वामी को 1980 में उसके अमूल्य कृति ” जंगल तन्त्रम” उपन्यास के लिए दिया गया। इस पुरस्कार में 15001 रु की सम्मान राशी दिया जाता है।

राधाकृष्ण के जीवनी

https://youtu.be/8wjIgr_FVok

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