गहढ़वाल वंश का इतिहास
History Of Gaharwal Dynasty
परिचय
गहढ़वाल वंश की स्थापना चंद्रदेव के द्वारा की गई थी। चंद्रदेव ने गुर्जर प्रतिहार वंश के अंतिम राजा यशपाल की हत्या करके इस राज्य की स्थापना की थी। चंद्रदेव के बाद महीचंद्र और यशोविग्रह राजा हुए परंतु यह स्वतंत्र राजा नहीं थे। इस वंश की पहली राजधानी उत्तर प्रदेश के काशी (आधुनिक नाम वाराणसी) में थी। जिसके कारण उन्हें काशी नरेश के नाम से भी जाना जाता था। गहढ़वाल वंश को राठौर वंश के नाम से भी जाना जाता है।
गहढ़वाल वंश के ऐतिहासिक स्रोत
अभिलेख
🪲सहेत-महेत का जेतवन विहार लेख – यह गोविंद चंद्र का लेख है। सहेत-महेत का पुराना नाम श्रावस्ती है।
🪲 देवरिया अभिलेख – ये भी गोविंद चंद्र का अभिलेख है।
🪲 सारनाथ लेख- यह लेख गोविंदचंद्र के रानी कुमारदेवी द्वारा उत्कीर्ण कराया गया था। कुमार देवी ने सारनाथ में एक विहार की स्थापना की थी।
🪲 चंद्रदेव द्वितीय का काशी तथा कन्नौज लेख
🪲 हरिचंद्र का जौनपुर लेख
साहित्य
🪲 मेरूतुंग का प्रबन्धचिंतामणि ग्रंथ
🪲 लक्ष्मीधर का कृतकल्पतरू ग्रंथ
🪲 हसन निजामी के लेख – चंदावर के युद्ध के बारे में जानकारी इन्हीं के लेखों से प्राप्त होती है।
🪲 चंदबरदाई का पृथ्वीराजरासो ग्रंथ
चंद्रदेव द्वितीय
चंद्रदेव द्वितीय महीचंद्र के पुत्र थे। इनका शासनकाल 1080 से 1103 ईसवी के मध्य माना जाता है। चंद्रदेव द्वितीय को गहढ़वाल वंश का पहला स्वतंत्र राजा माना जाता है। कन्नौज लेख से चंद्रदेव द्वितीय के बारे में जानकारी मिलती है। चंद्रदेव द्वितीय के द्वारा उत्कीर्ण कराए गए कन्नौज लेख के अनुसार उन्होंने अयोध्या और दिल्ली पर अधिकार कर लिया था।
इसने ने परमभट्ठारक, महाराजाधिराज,परमेश्वर जैसी प्रख्यात उपाधियां धारण की थी। इसके बाद मदनचंद्र राजा बने जिन्होंने 1103 से 1114 ई के मध्य शासन किया था परंतु इस के शासन काल में कोई विशेष घटना नहीं हुई।
गोविन्दचंद्र
गोविंद चंद्र मदनचंद्र के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे। गोविंदचंद्र का शासन काल 1114 से 1155 ई के मध्य माना जाता है। गोविंदचंद्र को गहढ़वाल वंश का सबसे शक्तिशाली तथा प्रतापी राजा माना जाता है। गोविंद चंद्र के लेखों में उन्हें “विविधविद्याविचारवाचस्पति” कहा गया है जिसका अर्थ विभिन्न प्रकार की विद्याओं का ज्ञानी होता है।
गोविंद चंद्र का विवाह चिक्कोरवंशी राजा देवरक्षित की पुत्री कुमार देवी से हुआ था। उत्तर प्रदेश के सारनाथ में कुमार देवी का एक अभिलेख प्राप्त हुआ था जिसमें उन्होंने बौद्ध विहार बनवाने तथा सम्राट अशोक को अपना आदर्श मानने और उसके जैसा शासन व्यवस्था स्थापित करने की बात कही गई है। गोविंद चंद्र के मंत्री लक्ष्मीधर के द्वारा एक कृत्यकल्पतरु नामक प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की गई थी जिसमें गोविंदचंद्र के शासनकाल की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
गोविंदचंद्र का एक लेख उत्तर प्रदेश के सहेत-महेत के जेतवन विहार से प्राप्त हुआ था जो 1186 आषाढ़ पूर्णिमा के दिन जारी किया गया था। इस लेख में गोविंद चंद्र के द्वारा जेतवन के बौद्ध संघ को गुरु मानते हुए 6 गांव दान में देने का उल्लेख किया गया है।
तमिलनाडु ने गंगेकोडचोलपुरम से गोविंद चंद्र का एक लेख प्राप्त हुआ था जिसमें उनकी वंशावली के बारे में बताया गया है।
गोविंद चंद्र के शासनकाल में दिल्ली के तोमर राजा उसके अधीन थे। गहढ़वाल वंश के संपूर्ण शासनकाल में सबसे बड़ा साम्राज्य गोविंद चंद्र का ही माना जाता है। गोविंद चंद्र के बाद विजयचंद्र राजा बने।
जयचंद्र
विजय चंद्र के पुत्र तथा उत्तराधिकारी थे। जयचंद्र का शासनकाल 1170 से 1194 के मध्य माना जाता है। इसके शासनकाल की जानकारी मेरुतुंग के प्रबन्धचिंतामणि ग्रंथ, हसन निजामी के लेख और चंद्रवरदाई के पृथ्वीराजरासो ग्रंथ से मिलती है। जयचंद्र के दीक्षागुरु प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान जगमित्रानंद जो मित्रयोगी नाम से प्रख्यात थे।
जयचंद्र और पृथ्वीराज चौहान की शत्रुता का मुख्य कारण दिल्ली की सत्ता थी जो उस समय हर राजा चाहता था कि दिल्ली पर हमारा कब्जा हो। पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंदबरदाई ने अपने ग्रंथ पृथ्वीराज रासो में संयोगिता हरण की बात कही है। जो मेरुतुंग के प्रबन्धचिंतामणि ग्रंथ, हरिश्चंद्र के जौनपुर लेख और चंदावर युद्ध का वर्णन करने वाले हसन निजामी के लेखों में जयचंद्र की संयोगिता नामक कोई पुत्री का उल्लेख नहीं किया है। जयचंद्र की पुत्री संयोगिता का अपहरण पृथ्वीराज तृतीय ने किया था।
1194 ई इसी में हुए चंदावर युद्ध (उत्तर प्रदेश के एटा और इटावा के मध्य) में मोहम्मद गोरी ने जयचंद्र को मार डाला था और राजधानी में खूब लूटपाट मचाई थी।
जयचंद्र की मृत्यु के बाद उसका पुत्र हरिचंद कन्नौज का राजा बना जिन्होंने 1198 ई के जौनपुर लेख उत्कीर्ण करवाया। हरिचंद के बाद अकड़मल्ल महाराजा हुआ और 12 वीं सदी के अंत में कन्नौज को तुर्क साम्राज्य का हिस्सा बना लिया गया।
🌹 History Of Gaharwal Dynasty🌹
मगध का उत्कर्ष वीडियो
🌹 History Of Gaharwal Dynasty
❤️ History Of Gaharwal Dynasty